104 की उम्र में दो बार टूटी कूल्हे की हड्डी, फिर भी इरादों की तरह मजबूत
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने कुछ समय पहले अपने एक ब्लाग में लिखा था, ‘जिंदगी कभी हार नहीं मानती और यह कभी आसानी से हार न मानने की अपील करती है। यही जिंदगी की खासियत है।
ब्लॉग में लिखी ये बातें ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सहायक महामंत्री 104 वर्षीय केएल गुप्ता की जिंदगी पर सटीक बैठती हैं। कर्मचारियों के लिए संघर्ष करते आ रहे श्री गुप्त की हड्डियां भी उनके इरादों की तरह मजबूत है। 90 से 104 वर्ष की अवस्था के बीच कूल्हे का दो बार टूटना और उसका सफल ऑपरेशन यह बताता है उनमें जोश और जुनून की कोई कमी नहीं है।
बीते दो महीने पहले केएल गुप्ता की बेड से उतरते वक्त कूल्हे की हड्डी टूट गई थी। उन्हें कर्मचारियों ने रेलवे अस्पताल में भर्ती करा दिया था जिसके बाद चिकित्सकों ने रेलवे से अनुबंधित अस्पताल में रेफर कर दिया था। वहां उनका सफल ऑपरेशन तो हुआ ही, साथ ही उन्हें किसी भी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हुई। फिलहाल वह रेलवे अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। उनका कूल्हा 10 साल पहले भी टूट चुका है। उनका ऑपरेशन करने वाले डॉ. ए अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने कई मरीजों के कूल्हे का ऑपरेशन किया है लेकिन इस उम्र में उनकी जितनी मजबूत हड्डी वाला कोई नहीं मिला।
बॉक्स
1952 से ही महामंत्री
केएल गुप्ता 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे के गठन के समय से ही एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री हैं। इसके पहले वह कार्यकारी अध्यक्ष भी थे। 104 साल की उम्र में भी केएल गुप्ता रेलवे कर्मचारियों के अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। इस उम्र में भी संघर्ष की जिद को वह जिंदा रख पा रहे हैं तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ अनुशासन भरी उनकी जीवनशैली है।
बॉक्स
यूनियन के दफ्तर में है बिस्तर
सुबह चार बजे जागने से लेकर रात 11-12 बजे तक आज भी काम करने वाले केएल गुप्ता को न दूध पचता है, न जूस। 52 साल की उम्र से तेल मसाला छूट गया। लम्बे अरसे से दिन में सिर्फ दो वक्त दो रोटी और थोड़ी सी दाल लेते हैं। यूनियन के दफ्तर में ही उनका बिस्तर है। यानि जागना, सोना, उठना, बैठना सब यहीं होता है।
कोट
मैं अपनी आखिरी सांस तक रेल कर्मियों के साथ जुड़ा रहूंगा। मेरी जितनी भी क्षमता है उस हिसाब से मैं निरंतर काम करता रहूंगा। कूल्हे की हड्डी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है।